"आज, मैं दिव्य कारावास चाहता हूँ; यानी कि मैं तुम्हारे हृदय में कैद हो जाऊँ और तुम मेरे में। वह जंजीर जो हमें बांधे रखती है वह दिव्य प्रेम है। हमारे ऊपर पहरा देने वाला मेरा शाश्वत पिता की इच्छाशक्ति है।"
"आज, मैं दिव्य कारावास चाहता हूँ; यानी कि मैं तुम्हारे हृदय में कैद हो जाऊँ और तुम मेरे में। वह जंजीर जो हमें बांधे रखती है वह दिव्य प्रेम है। हमारे ऊपर पहरा देने वाला मेरा शाश्वत पिता की इच्छाशक्ति है।"
उत्पत्ति: ➥ HolyLove.org
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